आत्मीय बंधू एवं भगिनी
सादर नमस्कार
हम सभी एक अभूतपूर्व परिष्तीत्ती का सामना बड़े सय्यम के साथ कर रहे हैं। कोरोना के कारण लगाया गया प्रतिबन्ध मई समाप्ति तक बढ़ गया है। ८ मई से अपने मंडल के आसपास का परिसर सील कर दिया गया है और यह परिस्थिति कायम रहेंगी ।
हमारे गुरुमहाराज पूज्यपाद श्री जनार्दनस्वामी महाराज की ४२ वी पुण्यतिथि तथा समाराधना दिन वैशाख कृष्ण १२, मंगलवार दी १९ मई २०२० को है। शासकीय निर्बंध तथा सामाजिक उत्तरदाईत्व के कारण यह संपन्न नहीं हो सकता और प्रतिवर्ष की तरह इस उत्सव के लिए हम भक्तगण एकत्रित भी नहीं हो पाएंगे। गुरुमहाराज तक हम भक्तगणों का पहुंचना असंभव है तो क्यों न हम अपने गुरुमौलिको अपने घर पाचरण कर यह महोत्सव सोत्साह संपन्न करे। हमारे गुरुमहाराज की असीम कृपा दृष्टी हमपर है।
परम श्रद्धेय श्री रामभाऊ खांडवे गुरूजी तथा अपने मंडल के ज्येष्ठ कार्यकर्ताओंसे परामर्श से इस वर्ष समाराधनादिन निर्देशित प्रकार से संपन्न हो ऐसा सुझाव है।
पूज्यपात्त गुरुमूर्ति श्री जनार्दनस्वामी महाराज की पुण्यतिथि सन २०२० दी १२ मई से १९ मई तक एक सप्ताह के रूप में घर पर ही मनाई जाए। दी १२ मई २०२० को प. पू. स्वामीजीके प्रतिमा की प्रतिष्ठापना सुबह ६ बजे अपने घरमें (पूजा घर, देवघर में) हो और निम्नअनुसार कार्यक्रम आयोजन हो
१) सवेरे ५.५५ बजे स्वामीजी के प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्पण। प्रातः ५.५५ से ७ बजे तक ईश्वर प्रणिधान से प्रार्थना तक पारिवारिक योगाभ्यास।
२) प्रातः ७.१५ तक “जय जय स्वामी जनार्दन महाराज की जय” यह पारिवारिक भजन और ७.१५ से ८ बजे तक पोथी (श्री योगमूर्ति कथामृत) के तीन अध्यायों का पठन पारायण (रोज तीन अध्याय का पाठ कर पूर्ण २५ अध्यायों का पारायण संपन्न हो जायेगा)
३) दोपहर १२ बजे तक शुद्ध सात्विक भोजन का नैवेद्य पूज्यपाद स्वमीजीको अर्पण कर प्रसाद ग्रहण करें।
४) सायं ६ से ७ के दौरान “ॐ श्री जनार्दनाय नमः” इस मन्त्र का १०८ जाप (१ माला) डीप प्रज्वलन करके आरती एवं सखामेवा का हल्का नैवेद्य।
५) दि १९ मई को योगवर्ग समाप्त होने के बाद प्रातः ७ बजे अपन घर से मंडल की ओर मुख करके साष्टांग पानीपत करें और जय जय स्वामी जनार्दन महाराज का बजन करें। प्रातः ७:१५ तक स्वामीजी की प्रतिमा लेकर अपने घरे के हर कमरे में तथा आँगन परिसर में “जय जनार्दन, श्री जनार्दन” का उद्घोष करते हुए परिक्रमा मिरवणूक करें। और स्वामीजी की प्रतिमा फिरसे पूजाघर में प्रतिष्ठित करें। प्रातः ७:३० को हलवे का नैवेद्य (शिरा) अर्पण करें और योगमूर्ति कथामृत पोथी के अंतिम चार अध्याय का पाठ करें।
६) दोपहर १ बजे शुद्ध सात्विक (अगर हो सकें तो खीर सहित) नैवेद्य दिखाकर प्रसाद ग्रहण करें।
७) सायं ७ बजे “ॐ श्री जनार्दनाय नमः” का १०८ (१ माला) जाप करें और आरती करके समाराधना सप्ताह का समापन करें। जिनके पास स्वामीजी की प्रतिमा नहीं है वे स्वामीजी की कोई भी पुस्तक (जिसमें स्वामीजी का फोटो है) अपने पूजाघर में रख सकते हैं। वह भी न मिले तो पूरी सुपारी या श्रीफल (नारियल) को गंध अक्षद पुष्प चढ़ाकर उसे प्रतिस्थापित कर श्रद्धा पूर्वक सभी उपचार करें।
आप सभी स्वमीभक्तों को मनःपूर्वक प्रणाम करते हुए यह निवेदन समाप्त करने के अनुमति चाहता हूँ। हरी ॐ।
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आपका स्नेहाकित
मिलिंद वझलवार
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